मुंबई को मिली वो दवा, जिससे चीन ने जीती थी कोरोना की जंग |

नई दिल्‍ली: पूरी दुनिया में कोरोना वैक्सीन बनाने के क़रीब 150 प्रोजेक्ट चल रहे हैं, लेकिन क्लीनिकल टेस्ट की इजाज़त सिर्फ़ 5 देशों की वैक्सीन को ही मिली है। चीन, अमेरिका, इज़रायल, ब्रिटेन, जर्मनी और जापान समेत कई देशों में कोरोना वैक्सीन रिसर्च पर काम चल रहा है। ऐसी स्थिति में एक दवा की आजकल बड़ी चर्चा है। चीन के बाद अब मुंबई में भी कोरोना के गंभीर मरीज़ों को ये दवा दी जा रही है और इसके अच्छे परिणाम भी मिल रहे हैं।
कोरोना से लड़ने के लिए रोजाना नई-नई दवाओं के नाम सामने आ रही है, जिसकी मदद से मरीजों को ठीक करने का दावा किया जा रहा है। ऐसे में अब एक नई दवा टोसिलीज़ुमाब (Tocilizumab) को कोरोना से लड़ाई में कारगर बताया जा रहा है।
कहा जा रहा है कि चीन ने भी इस दवा से अपने देश में कोरोना वायरस का खात्‍मा किया था। इसके बाद मुंबई मेंभी मरीजों को यह दवा दी जाने लगी है।
यह दवा कोरोना के ख़िलाफ़ लड़ाई में कारगर मानी जा रही है। कोरोना की मार झेल रही मुंबई में, जहां बकायदा मुंबई म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन के अस्पतालों में इसका ट्रायल गंभीर रूप से बीमार मरीज़ों पर सफलतापूर्वक किया जा चुका है।

क्या है टोसिलीज़ुमाब ?


  • ये एक इंजेक्शन है, जिसका साधारण ब्रांड नाम एक्टेरमा है।
  • इसे कोरोना के गंभीर रूप से बीमार मरीज़ों को दिया गया है।
  • अब तक 40 मरीज़ों को टोसिलीज़ुमाब दवा दी जा चुकी है।
  • 30 मरीज़ों में उत्साहजनक परिणाम देखने को मिले हैं।
  • जिन अस्पतालों में इसका इस्तेमाल किया गया है उसमें बीएमसी मेडिकल कॉलेज, सायन अस्पताल, नायर अस्पताल, केईएम अस्पताल और सेवन हिल्स अस्पताल शामिल हैं।

  • बीएमसी के मुताबिक कुछ कोरोना मरीजों का इलाज पहले हो चुका है और उन्हें ठीक होने के बाद अस्पताल से छुट्टी मिल चुकी है। मुंबई के अस्पतालों में देखा गया कि जिन कोरोना मरीज़ों को टोसिलीज़ुमाब (Tocilizumab) दवा दी गई, उनकी स्थिति में तेज़ी से सुधार आया। बीएमसी का कहना है कि ये दवा उन मरीज़ों को दी गई जो गंभीर रूप से बीमार थे, लेकिन दवा देने के साथ उनकी स्थिति में सुधार आ गया।
    कोरोना काल में देश के सभी शहरों की तुलना में मुंबई में सबसे अधिक मरीज़ और मौत के आंकड़े सामने आ रहे हैं। ऐसे में मेडिकल एक्सपर्ट्स हर तरह से इलाज की कोशिश कर रहे हैं। मुंबई में कोरोना के इलाज के लिए प्लाज्मा थेरेपी का प्रयोग भी बीएमसी के कई अस्पताल में हो चुका है। अब बीएमसी के अस्पतालों ने कोरोना के गंभीर मरीजों को टोसिलिजुमब के इस्तेमाल की शुरुआत की है।
    टोसिलिजुमब लगातार चर्चा का विषय बनी हुई है। दुनियाभर के कई अस्पतालों ने और मेडिकल एक्सपर्ट्स ने इस दवा को कोरोना के इलाज के लिए सुझाया है, जिसके बाद बीएमसी ने इसके इस्तेमाल की शुरुआत की इसका असर काफी प्रभावी देखने को मिला। दरअसल, चीन ने कोरोना वायरस के इलाज के लिए कई तरीक़े ढूंढे। चीन मेडिकल एक्सपर्ट्स की कोशिश थी कि कोरोना के हल्के मामले गंभीर न बनें और गंभीर रूप से बीमार कोरोना मरीज़ों को भी बचाया जा सके, इसके लिए टोसिलिज़ुमब का इस्तेमाल कोरोना मरीज़ों पर किया गया।
    टोसिलिज़ुमब पर चीन का अनुभव

  • कोरोना मरीज़ों पर ये दवा काफी असरदायक साबित हुई।
  • शुरुआती क्लीनिकल ट्रायल में 20 गंभीर मामलों में दवा का इस्तेमाल किया गया।
  • जिसमें सभी कोरोना मरीज़ों के शरीर का तापमान एक दिन के अंदर नीचे आ गया।
  • 19 रोगियों को दो हफ्ते के अंदर अस्पताल से छुट्टी दे दी गई जबकि एक दूसरा मरीज़ भी ठीक हो गया।

  • कोरोना वायरस के संक्रमण का केंद्र कहे जाने वाले वुहान में मौजूदा समय में टोसिलिज़ुमब दवा का 14 अस्पतालों में क्लीनिकल ट्रायल चल रहा है। चीनी एक्सपर्ट्स मानते हैं कि इस दवा से ठीक होने वाले मरीज़ों की तादाद लगातार बढ़ेगी। चीन के नेशनल हेल्थ कमीशन ने टोसिलिज़ुमब के इस्तेमाल को मंज़ूरी दी। ये मंज़ूरी सिर्फ़ 21 कोरोना मरीज़ों के लिए थी। इसी तरह कोरोना के इलाज के लिए ऑस्ट्रेलियन इम्यूनोलॉडी एंड एलर्जी ने भी टोसिलिज़ुमब के इलाज की मंज़ूरी दी। साथ ही इटली के डॉक्टर्स ने भी इस दवा का गंभीर रूप से बीमार मरीज़ों के लिए फ़ायदेमंद बताया।
    यहां ये याद रखना चाहिए कि टोसिलिज़ुमब दवा अभी कोरोना के इलाज के लिए क्लीनिकल ट्रायल के स्तर पर ही है। ये कोरोना के इलाज़ के लिए कोई मुकम्मल दवा नहीं है। ये दवा पहले से गठिया रोग के मरीज़ों को दी जाती है। ये एक एंटी बॉडी है जो मरीज़ों की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है।

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