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 ये चार हैबिट आपको मिलियनरे बना सकती है.

Millionaire Success Habits- अपने गोल्स की तरफ हमेशा ध्यान बनाए रखें-

Millionaire Success Habits- आज का दौर ऐसा है कि कोई भी कुछ नहीं करता है. जब तक उसे उस काम में खुद का फायदा नज़र नहीं आता है. पहले अध्याय के बाद ही आपको इस सवाल का जवाब मिल जाएगा कि आपको ये किताब क्यों पढ़नी चाहिए? क्या आप भी यही सोचते हैं कि जिनके पास पैसा और सक्सेस होता है. वो कितने लकी होते हैं?


ऐसा नहीं है, क्योंकि सक्सेस का लक से लेना देना नहीं होता है. जिनके पास सक्सेस होती है. वो इसलिए होती है क्योंकि उनके पास बैठकर सोचने का समय नहीं होता कि कोई चीज चलकर उनके पास आएगी.


सक्सेसफुल लोग वैसे लोग होते हैं. जिनके पास विजन होता है. कुछ कर गुजरने का, वो अपनी चाहत को अपने काम में तब्दील करते हैं. काम करने में विश्वास करते हैं. अगर आपके अंदर माद्दा है कि आप दुनिया को झुका सकते हैं. तो दुनिया भी आपके आगे झुकेगी. सक्सेसफुल आदमी और एवरेज आदमी की सोच में बहुत बड़ा अंतर देखने को मिलता है. सक्सेसफुल इंसान के पास मिलियन डॉलर माइंडसेट होता है.


अगर आप चाहते हैं तो आपके पास भी ये माइंडसेट हो – सकता है. इन अध्याय को ऐसे ही डिजाईन किया गया है कि आपकी मदद हो सके. सक्सेसफुल इंसान का माइंडसेट कैसा होता है? और उसे पाया कैसे जाता है? आपको इन अध्यायों को पढ़कर पता चल जाएगा.


इन अध्यायों को फाइनेंशियल सक्सेस के इर्द गिर्द बुना गया है. लेकिन जो आदतें इन अध्यायों में बताई गई हैं. वो आपको जिंदगी के हर पड़ाव में मदद करेंगी. इसलिए इस किताब को पढ़िए और जीवन में बदलाव के रास्ते में चलने की शुरुआत कर दीजिये.


क्या आप सच्चाई से ये बात कह सकते हैं कि आप जानते हैं आपको जिंदगी से क्या चाहिए? क्या आपको अपने जीवन का मोटिव पता है? अगर नहीं भी पता है. तो भी आपको घबराने की ज़रूरत नहीं है. आपको ऐसे बहुत से लोग मिलेंगे जिन्हें अपने जीवन का उद्देश्य नहीं पता है. इस किताब की समरी में आपको पता चल जाएगा कि जीवन के उद्देश्य को जाना कैसे जाता है.


अगर आपको जीवन में सक्सेसफुल होना है तो सबसे पहले आपको पता होना चाहिए कि आपके जीवन का उद्देश्य क्या है? जब ये पता चल जाए फिर आप पता करिए कि आपको अब किस मार्ग से उस उद्देश्य तक पहुंचना है.


आप अपने उद्देश्य के हिसाब से खुद को वहां तक ले जाने के लिए तैयार रहिये. अपने गोल्स के प्रति ईमानदार के साथ उस गोल पर स्टिक भी रहिये.


सोचिये कि आपको एक लंबे सफर पर कार से जाना है. लेकिन आपको डेस्टिनेशन के बारे में कोई जानकारी नही है. तो अब सोचिये कि आपका सफर कैसा होगा?


इसलिए एक सिंपल सा तरीका है कि खुद से सवाल करिए ‘क्यों’, यही ‘क्यों’ आपको आपकी मंजिल से मिलवाने का काम करेगा.


लेखक और उनकी टीम ने सेल्फ डिस्कवरी की एक टेकनिक निकाली. इस टेकनिक में आपको एक पार्टनर की ज़रूरत पड़ेगी. जो आपसे क्यों वाले सवाल करेगा. फिर आपके जवाब से ही नये सवाल करेगा. लेखक ने इस टेकनिक का नाम 7 लेवल्स डीप दिया है. ये ‘क्यों’ वाले सवाल 7 लेवल तक चलेंगे. इस एक्सरसाइज से निश्चित है आपको मदद मिलेगी. ना सिर्फ मदद मिलेगी बल्कि आपको आपके उद्देश्य के बारे में भी पता चल जायेगा.



नेगेटिव फोर्सेज से बाहर आइये –

Millionaire Success Habits- इंसान के अंदर दो तरह की आदत होती है. पहली यह कि वह दूसरों से जलता है. दूसरी यह कि वह दूसरों से प्यार और सिम्पेथी रखता है. अब आपके अंदर की कौन सी आदत जीतेगी इसका फैसला आपको खुद करना है. आपको हर नेगेटिव चीज से बाहर आना है, जो आपको पीछे की तरफ खींच रही है.


इन सभी के साथ हमारे अंदर एक आवाज़ भी होती है. वो आवाज़ हमारे सेल्फ एस्टीम को गिराती रहती है. वो आवाज़ ये भी बताती है कि हमारे अंदर बहुत सी कमियां हैं. अगर आपको लाइफ में सक्सेसफुल होना है तो आपको अपनी उस नेगेटिव आवाज को बंद करना होगा.


अपनी वीकनेस को दूर करने के लिए हम आपको कुछ टिप देना चाहते हैं. जिस काम से आपको ख़ुशी मिलती हो, आप वो काम ज़रूर करिए. जब आप अपनी ख़ुशी का काम कर रहे होंगे तब आप काफी कुछ सीख भी रहे होंगे. नई स्किल्स को सीखने में अपने समय का इन्वेस्टमेंट ज़रूर करिए.


अगर आपको सक्सेसफुल बनना है तो आज से बल्कि अभी से सिर्फ और सिर्फ सक्सेसफुल लोगों की ही एडवाइस सुनिए. आपको बहुत लोग मिलेंगे एडवाइस देने वाले, लेकिन आपको तय करना है कि जिसकी एडवाइस आप ले रहे हैं. उस इंसान ने उस फील्ड में क्या किया है? एडवाइस देने वाले की पर्सनालिटी को तौलिये. आपको ऐसे कई लोग मिलेंगे जिन्होंने अपनी ज़िन्दगी में कुछ खास नहीं किया है लेकिन वो एडवाइस बहुत देते हैं और दूसरों कि गलतियाँ भी बहुत निकालते हैं. ऐसे लोगों से दूर रहिये.


आपके अंदर जो नेगेटिव फ़ोर्स है. उससे सीखने की कोशिश करिए. जब आप उससे सीखने लगेंगे तो आप अपने बेस्ट वर्जन से मिलेंगे. आपका बेस्ट वर्जन मोटिवेटेड, खुश, जिंदादिल और सक्सेसफुल होगा.


इस अध्याय में आप उन तीन आदतों के बारे में समझने वाले हैं. जो आपके अंदर छुपे हुए रियल हीरो से आपको मिलवाएगी.


पहली आदत: खुद को विनर की तरह समझने की शुरुआत कर दीजिये.


आपके सामने एक सिचुएशन है. एक होटल में दो आदमी 6 अलग-अलग टेबल में बैठे हुए हैं. पहला इंसान चेहरा झुकाए हुए, चुप चाप उदासी में वेटर का इंतजार कर रहा है. दूसरा इंसान मुस्कुराता हुआ वेटर से मजाक कर है. अब आते हैं मेन सवाल पर, आपके हिसाब से दोनों व्यक्तियों में से अपनी जिन्दगी से ज्यादा खुश कौन है? पहला आदमी डिप्रेशन में दिख रहा है. वहीं दूसरा आदमी ज्यादा खुश नजर आ रहा है. आसान भाषा में कहें तो दूसरा इंसान यहां विनर की तरह दिख रहा है.


अगर आपके मन में ये सवाल आया हो कि मुझे तो विनर वाली फीलिंग नहीं आ रही है? तो क्या मैं एक्टिंग करूं? अगर एक्टिंग करता भी हूँ तो इसका क्या फायदा?

अगर आप हंसने की एक्टिंग भी करते हैं. तो इसमें कोई बुराई नहीं है. कई रिसर्च में ये बात निकलकर सामने आई है कि हंसने से इंसान बेहतर बनता है. हंसने की एक्टिंग भी अच्छी है. कहते हैं न कि फेक इट टिल यू मेक आईटी. यानी जब तक आप को अगर अन्दर से विनर वाली फीलिंग नहीं आ रही है तो विनर वाली एक्टिंग करिए.


दूसरी आदत यह है कि आप खुद से अच्छी बातें करिए. आप अपने बारे में क्या सोचते हैं? और कैसे बात करते हैं? ये बात काफी ज्यादा मैटर करता है. इसलिए हमेशा ये कहा गया है कि अपने बारे में पॉजिटिव बात करनी चाहिए.


तीसरी आदत है कि आप अपने सोशल कल्चर को भी बेहतर बनाते रहिये. कई स्टडीज में ये निकलकर सामने आया है कि इंसान ज़्यादातर अपने आसपास रहने वालों से ही सीखता है. इसलिए हमेशा कोशिश करिए कि आपके आसपास का माहौल पॉजिटिव रहे. ये भी कोशिश करिए कि आप अधिकतर पॉजिटिव लोगों की संगत में रहें. यह याद रखिये आप अपने आस पास के लोगों का ही एवरेज होते हो. तो जिस तरह के लोग आप के आस पास होंगे आप भी वैसे ही बनोगे.


हम सबके पास एक लाइफ स्टोरी होती है. इसी लाइफ स्टोरी को हम लोगों को बताते भी हैं. आप वही हैं जो आप बताते हैं कि आप हैं. कन्फ्यूज मत होइएगा, इसका मतलब है कि आप जो अपने बारे में सोचते हैं. उसी तरह आप बन भी जाते हैं.


ऊपर जो लाइफ स्टोरी की बात हुई है. वो कई मायनों में उसी तरह होती है जैसी जिंदगी हमने जी हुई होती है. इसलिए लेखक बोलते हैं कि ये टू वे स्ट्रीट है. जब भी हम खुद को कोई कहानी बताएं तो काफी अवेयर होकर बताएं क्योंकि जैसी कहानी हम खुद को बताते हैं उसी तरह की लाइफ हम जीने वाले होते हैं. एक्साम्प्ल के लिए इस किताब के लेखक सक्सेस कोच कभी नहीं बनते अगर उन्होंने खुद से ये नहीं कहा होता कि उन्हें सक्सेसफुल होना है.


सबसे पहले ज़रूरी है कि आप खुद से कुछ सवाल करिए. ये सवाल काफी कठिन हो सकते हैं. लेकिन अगर आपको सक्सेसफुल इंसान की तरह जीवन जीना है तो आपको खुद सवाल करने ही होंगे.


आप खुद से पूछिए कि क्या आपके पास कोई अचीवमेंट है? जिसके बारे में आप खुद को बता सकें. क्या आप अपनी लाइफ बस बहाने बनाने में बिता रहे हो? इन सब सवालों से आपकी आत्मा जागेगी.


खुद का आकलन करना बहुत ज्यादा मुश्किल होता है. इंसान को अंदर ही अंदर कई जंग लड़नी पड़ती हैं. लेकिन आपको बता दें कि आप ही खुद के अंदर बदलाव ला सकते हैं. खुद के अंदर पॉजिटिव बदलाव लाने का यही एक तरीका है कि आप खुद से कठिन सवाल करना सीखें. अगर आप खुद से कठिन सवाल करना सीख जाएंगे तो आप अपने जीवन में कुछ ना कुछ बेहतर कर ही लेंगे.


खुद के ऊपर भरोसा रखिये. इतना भरोसा जितना आपको किसी के ऊपर ना हो. दुनिया को जीतने का माद्दा आपके पास है. देर है तो बस पहचानने की, इसलिए पारखी नज़र को पैदा कर लीजिये.


जीवन में नज़रिए का खेल भी काफी ज्यादा होता है. उदाहरण के तौर पर आप लेखक को ले सकते हैं.


उनको बचपन से ही एक बीमारी थी. जिसका नाम था A.D.D.’ यानी Attention Deficit Disorder. काफी लम्बे समय तक लेखक इस बीमारी से परेशान रहे. वह कुछ भी याद नहीं रख पाते थे. उन्हें इंस्ट्रक्ष्स फॉलो करने में परेशानी होती थी. वह किसी भी एक चीज़ पर टिक नहीं पाते थे. वह एक चीज़ से दूसरी चीज़ पर कूद जाते थे. फिर लेखक की मुलाक़ात इस बीमारी के विशेषज्ञ नेड हैलोवेल से हुई. उन्होंने लेखक को बताया कि एडीडी काफी अच्छी चीज है. ये उन्ही लोगों को होती है जो काफी पैशनेट और काफी एक्टिव होते हैं. इसलिए इसको अपनी कमजोरी ना समझो बल्कि इसे अपनी ताकत बना लो, उसी दिन लेखक ने इसे अपनी ताकत बना लिया. उन्होंने इस बीमारी को सिर्फ देखने का नजरिया बदल लिया और उनकी पूरी दिक्कत का समाप्त हो गई.


इसलिए कहा भी गया है कि नजरिया बदलिए, पूरा खेल ही बदल जाता है. अपने जीवन को जीने का तरीका बदल दीजिये.जो चीजें आपको पीछे लेकर जाती हैं. उन्हें पहचानिए और आगे बढ़िए.


3. समय का सही उपयोग करना सीखिए

Millionaire Success Habits- आपने कई बार सुना होगा कि हार्ड वर्क करो. हार्ड वर्क से ही सक्सेस मिलती है. ये बात सच है कि मिलिनियर काफी हार्ड वर्क करने के बाद ही उस मुकाम को हासिल करते हैं.


लेकिन, क्या मिलिनियर बस हार्ड वर्क से बनते हैं? इसका जवाब है नहीं, सिर्फ हार्ड वर्क मायने नहीं रखता है. ये भी मायने नहीं रखता है कि आपने कितने घंटे मेहनत की है. मायने तो बस ये रखता है कि आपने अपने समय का सही इस्तेमाल किया है या नहीं. मतलब जितनी देर आपने काम किया है तो आपका कितना फोकस अपने काम के ऊपर था?


अपने समय को प्रोडक्टिव बनाने की कोशिश करिए. इसी के साथ आपकी ये भी कोशिश रहनी चाहिए कि जितनी चीजें भी आपके जीवन में अनप्रोडक्टिव हों, उन्हें अभी बाहर निकालकर फेंक दीजिये.


समय को एक इन्वेस्टमेंट की तरह लीजिये. ये भी सोचिये कि जब पैसों का इन्वेस्टमेंट करते हैं तो आपके दिमाग में क्या रहता है? क्या आप ज्यादा से ज्यादा रिटर्न के बारे में सोचते हैं? अगर हां तो समय को लेकर ऐसा क्यों नहीं सोचते?


इसलिए ही कहा गया है कि टाइम से बड़ा इन्वेस्टमेंट कुछ नहीं होता है. इसका सीधा सा मतलब ये है कि अपना ज्यादा से ज्यादा समय आप काम पर लगाइए. अगर आप ज्यादा से ज्यादा काम पर ध्यान देंगे तो उसका सीधा असर आपके रेवेन्यु पर पड़ेगा.


सबसे पहले आप ये समझने की कोशिश करिए कि किस चीज पर समय लगाने से आपका बिजनेस बढ़ेगा. ये कोई क्रिएटिव स्किल भी हो सकती है. जिस भी चीज में समय देने से आपका बिजनेस बढ़े बस आपको उसी के ऊपर अपना ध्यान केन्द्रित करने की ज़रूरत है.


हफ्ते भर की आप दो लिस्ट भी तैयार कर सकते हैं. पहली लिस्ट का नाम आप टू डू लिस्ट दीजिये. इसम वो सारे कम होंगे जो आपके बिजनेस के लिए ज़रूरी हैं. दूसरी लिस्ट का नाम आप नॉट टू डू लिस्ट दीजिये. इस लिस्ट में वो काम होंगे जिन्हें आपको नहीं करना है. आज से ही आप सारे अनप्रोडक्टिव कामों से दूरी बनाना शुरू कर दीजिये.


एक बार अगर आपने अनप्रोडक्टिव कामों को बाहर का रास्ता दिखा दिया तो आप अपने लक्ष्य के प्रति फोकस्ड हो जाएंगे. आप उस तरफ बढ़ जाएंगे जहाँ से आपको पैसे और खुशियाँ दोनों मिलेंगी.


अब हम बात करेंगे सेल्फ कॉन्फिडेंस की. क्या आपने कभी गौर किया है कि सफल लोगों के अंदर एक ऐसी कौन सी खूबी होती है? जो सभी के अंदर पायी जाती है. वो खूबी का नाम है ‘सेल्फ कॉन्फिडेंस’.


सच्चाई के साथ खुद से एक सवाल करिए कि जब आपके पास सेल्फ कॉन्फिडेंस नहीं था तब क्या कभी आपने सक्सेस पायी है? आपका जवाब होगा नहीं. आपको दिमाग पर जोर डालने के बाद भी कुछ याद नहीं आयेगा. इसके पीछे का रीजन ये है कि बिना कांफिडेंस के आप किसी लड़की से डेट के लिए भी नहीं पूछ सकते हैं. आप खुद सोचिये कि अगर आपको मिलिनियर बनना है. तो फिर कांफिडेंस की क्या वैल्यू है? ये उस किताब की तरह है जिसे पढ़कर लड़के बोर्ड एग्जाम को पास कर लेते हैं.


अगर आप अपनी पर्सनालिटी में पहली कोई चीज जोड़ना चाहते हैं तो सबसे पहले सेल्फ कॉन्फिडेंस को एड करिए. एक बार आपके अंदर कॉन्फिडेंस आ गया तो डर अपने आप भाग जायेगा.


एक बात याद रखिये कि आप कॉन्फिडेंस को खरीद नहीं सकते हैं. इसलिए इसे डेवलप करने की शुरुआत कर दीजिये. अपने अंदर कॉन्फिडेंस के बीज को बोने का समय आ गया है.


अब आपके मन में सवाल आया होगा कि अपने अंदर कॉन्फिडेंस के बीज को बोना कैसे है? इसका एक सिंपल सा फ़ॉर्मूला है. आप अपने जीवन में 4सी को याद कर लीजिये. ये 4 सी है- करेज, कमीटमेंट, कैपाबिलिटी और कॉन्फिडेंस.


चलिए हम शुरुआत करते हैं करेज से. आपके अंदर कुछ भी नया करने की हिम्मत होनी चाहिए. ये हिम्मत आपको खुद से आएगी. यही हिम्मत आपके अंदर कॉन्फिडेंस को जन्म देगी. अपने कम्फर्ट जोन से बाहर निकलिए. एक बार अगर आपने कम्फर्ट जोन से बाहर निकलने का फैसला कर लिया तो समझ लीजिये कि आप सफलता के पास भी पहुंच गये हैं.


दूसरी चीज है कमिटमेंट. आपको हर काम के प्रति कमिटेड रहना होगा. ये काम भले ही आपकी रिलेशनशिप हो, या बिजनेस हो, आपको कमिटमेंट देना पड़ेगा खुद को कि आपको भागना नहीं हैं. हर काम को पूरा करने के लिए एक कमिटमेंट की ज़रुरत होती है. यही कमिटमेंट आपके अंदर के कॉन्फिडेंस को बड़ा करने में भी मदद करेगा.


अगला नंबर आता है कैपाबिलिटी का, इसका मतलब स्किल से है. आपको पता होना चाहिए कि आपके टार्गेट के लिए आपके अंदर कौन-कौन सी स्किल होनी चाहिए. अगर आपके अंदर कोई स्किल नहीं है. तो उसे सीखने की ललक भी आपके अंदर होनी ही चाहिए. अपनी स्किल या काबिलियत पर भरोसा रखिये. यही भरोसा आपके कॉन्फिडेंस को और ज्यादा बेहतर बनाने में मदद भी करने वाला है.


ऊपर बताई गई इन तीनों चीजों को अगर आपने थाम लिया तो आपके अंदर कॉन्फिडेंस अपने आप आ ही जाएगा. तो फिर देर किस बात की, शुरु कीजिये अपने सफ़र की. अगले मिलिनेयर आप भी हो सकते हैं.


चलिए आपको एक एक्सरसाइज बताते हैं. अगर आप अभी अपने कॉन्फिडेंस को बढ़ाना चाहते हैं. तो सबसे पहले एक पेन उठाइये. एक कागज में लिखना शुरु करिए. उस कागज में आप आज तक की अपनी सभी अचीवमेंट की लिस्ट बनायेंगे. इस लिस्ट में आपकी हर उस छोटी अचीवमेंट को शामिल करिए, जिस अचीवमेंट ने आपको प्राउड फीलिंग दी हुई होगी. सवाल यह है कि इस एक्सरसाइज के बाद आपको कैसे पता चलेगा कि कॉन्फिडेंस को पैदा कैसे किया जाता है? इस आखिरी एक्सरसाइज से आपको पता चलेगा कि आपने जीवन में बहुत कुछ अचीव किया है. इन सब अचीवमेंट का क्रेडिट आप खुद को देना मत भूलिए. इस एक्सरसाइज से आपको ख़ुशी का अनुभव होगा. ख़ुशी कॉन्फिडेंस बढ़ाने का बहुत अच्छा तरीका है.


कभी आप गौर करियेगा कि आप जब दुरवी रहते हैं तो आप क्या सोचते हैं? और जब खुश रहते हैं तो आप क्या सोचते हैं? आपको पता चलेगा कि जब आप खुश रहते हैं तो आपका कॉन्फिडेंस हाई रहता है. उसी हाई कॉन्फिडेंस को आपको स्टेबल करना है. एक बार आप इसे स्टेबल करना सीख गये तो समझ लीजिएगा कि मिलिनियर बनने के रास्ते में आप निकल चुके हैं.


Number 4 कुल मिलाकर :

अपने भविष्य के लिए आपको सक्सेस हैबिट को अपने अंदर उतारना ही पड़ेगा. ये एक ऐसा टास्क है जिसे आप मना नहीं कर सकते हैं. अपने टास्क को पूरा करने के लिए अगर आपको खुद से भी जंग का ऐलान करना पड़े तो पीछे मत हटियेगा. याद रखियेगा कि ‘गिरते हैं शह सवार ही मैदाने जंग में इसलिए रिस्क लेने से कभी डरना नहीं है. हमेशा नई-नई स्किल्स को सीखते रहना है. उस दिशा में प्रोडक्टिव काम करिए जहाँ से आपको पैसे मिल सकें. इस किताब में बताई गई आदतों को अगर आप अपने अंदर ले आने में सफल हो गये. तो समझ लीजिएगा कि आपकी ज़िन्दगी के मालिक आप ही रहोगे. अगर ये आदतें आपके अंदर नहीं रहेंगी तो हमेशा आपकी जिंदगी सिचुएशन के इर्द गिर्द घूमती रहेगी. इनमे से कुछ आदतें आपकी मेंटल हेल्थ को मजबूत करेंगी, वहीं कुछ आदतें आपके गोल्स तक आपको ले जाने में मददगार साबित होंगी. याद रखिये असफलता से कभी भी निराश नहीं होना है. अगर कुछ समय के लिए निराश हो भी गये. तो फिर और मेहनत के साथ अपने गोल्स की तरफ बढ़ना है. आपके गोल्स ही आपको ख़ुशी देंगे. इसलिए हमेशा कोशिश करिए कि जीवन में कुछ बड़ा कर सकें. जब आपकी सोच में बड़ा करने का ख्याल रहेगा तो आपके एक्शन भी वैसे ही रहेंगे.


एक चैलेंज खुद को दीजिये, इस चैलेंज का नाम रखिये 30 डेज बेटर लाइफ चैलेंज.


सक्सेस हैबिट को सीखना बहुत अच्छी शुरुआत है. लेकिन उनको अपने जीवन में उतारना क्या उतना ही आसान है? आप कैसे उन हैबिट्स को अपने अंदर उतारने वाले हैं? कुछ दिमाग में आया क्या? अगर नहीं आया तो एक बात जान लीजिये कि अब पढ़ने का समय नहीं है बल्कि कुछ करने का समय आ गया है. अपने आपको 30 डेज बेटर लाइफ चैलेंज दीजिये. इस चैलेंज के दौरान आपको ध्यान रखना है कि हर दिन आपके अंदर कितना बदलाव आ रहा है. एक डायरी भी मेंटेन रखिये. इस डायरी में आपको नोट भी करते जाना है कि हर दिन आप नया क्या सीखने का प्रयास कर रहे हैं?


अपने आपको जज भी करते रहिये. 30 दिन के बीच में ही खुद का एजाम भी लेते रहिएगा. इस एजाम से ये पता चलेगा कि क्या वाकई में बदलाव आ रहा है? या फिर बस आप खुद से छलावा कर रहे हैं. याद रखियेगा, छलावा से मंजिल कभी नहीं मिलती है. क्योंकि छलावा एक धोका होता है. जिसे आज नहीं तो कल सबके सामने आ ही जाना है. इसलिए हमेशा कोशिश करिए कि आप खुद से भी और दूसरों के प्रति भी हमेशा सत्य का ही साथ दें, इतने ज्ञान के डोज के बाद इस किताब के लेखक को ये उम्मीद है कि आप अपने जीवन को भी और दूसरों के जीवन को भी बेहतर बनाने की कोशिश करेंगे.


30 डेज के चैलेंज का रिजल्ट भी आपको खुद ही तैयार करना है. इसलिए थोड़ा स्ट्रिक्ट रहने की कोशिश करियेगा.

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